Saturday 16 July 2016

यादों में वो आज भी ज़िन्दा है और कल भी होगी

वक़्त के तूफ़ान में सबकुछ बदल गया... 
जो था मेरे पास, वो भी बिखर गया...

ये कोई शायरी नहीं मेरे आज की कहानी है ....
ये आने वाले कल की नहीं, मेरे दो पल में बिखरे हुए कल की कहानी है ..

कुछ वो मजबूर थी  कुछ मैं मजबूर था ....
ये हमारा नहीं हालात का कसूर था ....
वो बेवजह हम को कसूरवार समझते रहे, पर मैं बेकसूर था....

चाह कर भी वो हमें अब पास बुला न सकेंगी ...
हसरत भी होगी अगर उनको  हमें पाने की
फिर भी वो अब हमें पा न सकेगी.... 
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